खेती किसानी बुलेटिन: 7 दिसम्बर 2024

हरियाणा कृषि विभाग द्वारा धान के फसल अवशेषों का प्रबंधन करने वाले किसानों के पंजीकरण की अंतिम तिथि 

सभी किसान भाइयों को सूचित किया जा रहा है की किसानों द्वारा धान की फसल के अवशेषों के प्रबंधन करने के उपरांत हरियाणा सरकार द्वारा 1000 / रूपये प्रति एकड़  प्रोत्साहन राशि दी जाती है जिसके लिए ऑनलाइन आवदेन करने की आखरी तारीख 30.11.2024 को समप्त हो चुकी थी I 

अब कृषि विभाग द्वारा पुनः 08.12. 2024 तक पोर्टल खोल दिया गया है अब किसान भाई 08.12 .2024 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते है स्कीम के तहत अपना पंजीकरण 08.12.2024 तक कर लेवेI

प्रदेश में जैविक खेती का बढ़ा रकबा, जैविक फसलों का क्षेत्रफल बढ़ा के हुआ 18 हजार एकड़

हरियाणा प्रदेश में पिछले साल जहां किसानों ने 7313 एकड़ में जैविक खेती का पोर्टल पर पंजीकरण कराया था,और इस वर्ष वही आंकड़ा बढ़ कर 18 हजार एकड़ किसानों द्वारा लगाई जैविक फसलों का हो गया है। प्रदेश भर में जैविक खेती के लिए सरकार द्वारा 360 क्लस्टर बनाए गए हैं।

 हरियाणा के 14 जिलों में 36 ब्लाकों की 1547 ग्राम पंचायतों के 1920 गांवों में इसे परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के तहत जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है I इस योजना के तहत प्राकृतिक/जैविक कृषि करने वाले किसानों को तीन साल के लिए प्रति एकड़ छह हजार रुपये दिए जाने का प्रावधान है जिसकी नियम व शर्तें कृषि विभाग में सम्पर्क करके प्राप्त किये जा सकते हैंI

कीटनाशक जहर को दवा कहने से हुआ कन्फ्यूजन और बच्चों ने खेल खेल में निगला जहर

 खबर राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के थाना दानपुर इलाके के खजूरी नाम के गाँव से है जहाँ एक 10 साल के बच्चे ने अपनी  2 से 5 भतीजियों के साथ डॉक्टर डॉक्टर का खेल घर में रखी कपास में डाले जाने वाला कीटनाशक जहर ढक्कन में डालकर अभिनय करते हुए दवा बोलकर पिला दिया I

खेल खेल में दवा समझ कर कीटनाशक जहर पीने से बच्चियों की तबियत बिगड़ गई ,बच्चियों की हालत बिगड़ती देख आनन् फानन में परिवार वालों ने बच्चों को अस्पताल पहुंचाया I

फ़िलहाल बच्चियों की हालत ठीक बताई जा रही है, आप सभी किसानों को गौर करने वाली बात यह है कि कीटनाशकों की बोतलों पर दवा शब्द कहीं भी नहीं लिखा होता है वहां सपष्ट और बड़े बड़े शब्दों में जहर लिखा होता है I

 फिर हम क्यों सब बार बार दवा अथवा दवाई बोलते हैं हमें इसे जहर ही बोलना चाहिए और इसे बच्चों और पशुओं के पहुंच से दूर ही रखना चाहिए और इसका भंडारण कभी भी अनाज तेल और अन्य खाने पीने की वस्तुओं के साथ नहीं करना चाहिए I

हम यदि इसे जहर ही बोलेंगे तो इसके खुले प्रयोग में हमारा हाथ भी रुकेगा और बच्चे भी इससे दूर ही रहेंगे I

भू-जलस्तर सुधारने के लिए राज्य के 1920 गांवों में चल रहा काम

भू-जलस्तर में गिरावट को रोकने के लिए  हरियाणा कर्नाटक गुजरात, राजस्थान मध्यप्रदेश  और उत्तर प्रदेश में अटल भूजल योजना चलाई जा रही है। इन दोनों योजनाओं में लगे किसानों को जैविक खेती और उत्पादन से लेकर और फसलोपरांत प्रबंधन तक आरंभ से लागू किया गया है।

 चरखी दादरी ,भिवानी ,फरीदाबाद ,फतेहबाद यमुनानगर ,पानीपत ,रेवाड़ी ,सिरसा ,करनाल गुरुग्राम ,महेंद्रगढ़ ,पलवल आदि ग्राम पंचायतों में भू-जलस्तर सुधारने के लिए काम चल रहा है। 

पीकेवीवाई के तहत जैविक खेती करने वाले किसानों को बढ़ावा देने हेतु तीन वर्ष की अवधि तक जागरूक किसानों को सरकार की तरफ से  प्रति एकड़ 12 हजार 600 रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है। इसमें से किसानों को कृषि / गैर-कृषि जैविक आदानों के लिए डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से तीन वर्षों की अवधि के लिए छह हजार रुपये प्रति एकड़ प्रदान किए जाते हैं।

ज्यादातर राज्यों में दिसम्बर माह में 3 से 5 डिग्री अधिक दर्ज किया गया

देश के अधिकतर हिस्सों में तापमान आमतौर पर 25 से 26 डिग्री से नीचे मापा जाता हैं वहीँ इस बार 8 दिसम्बर तक तापमान 25 डिग्री के नीचे आने की कोई संभावना नहीं देखि जा रही हैं इस बार नवम्बर,अक्टूबर माह में बारिश न होना भी ठंड देर से शुरू हो रही हैं I

15 दिसम्बर तक ठंड बढ़ने की जताई जा रही संभावना

मौसम बिभाग के असनुसार 12 से 15 दिसम्बर तक ठंड बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही हैं इस बार पश्चिमी देश के ज्यादातर इलाको का तापमान 35 डिग्री के आसपास दर्ज किया गया I

वही देश के कुछ इलाको का तापमान न्यूनतम 7 डिग्री तक मापा गया गंगा के तटीय इलाको जैसे बिहार ,पंजाब ,नागालैंड आदि जगह पर तापमान 4 से 5 डिग्री ज्यादा दर्ज किया गया I

अगले 5 दिन में मध्य भारत में बढ़ेगा तापमान

मौसम विभाग के अनुसार अगले 5 से 6 दिनों में न्यूनतम से 3 से 4 डिग्री तक तापमान बढ़ने की उम्मीद बताई जा रही है I दिल्ली एनसीआर में 2 डिग्री तक तापमान बढ़ा दर्ज किया गया , देश भर में अधिकतम 25 से 27 और न्यूनतम 11 से 14 डिग्री तक बना हुआ हैं I

भारत-जापान के वैज्ञानिकों ने मिलकर खोजी कट साइलर तकनीक पराली प्रबंधन में होगी आसानी

भारत के उत्तर राज्यों में पराली प्रबंधन को लेकर किसान और सरकारें लगातार प्रयास कराती कर रहे हैं, जिसमें काफी सफलता भी मिली है लेकिन अभी भी काम करने का स्कोप बहुत हैI इसीलिए किसान और वैज्ञानिक मिलकर नित नए प्रयोग करते रहते हैंI भारत और जापान के वैज्ञानिकों ने मिलकर एक 7 साल के शोध से पराली को तुरंत नष्टऔर खेतों की उर्वरा क्षमता को बढ़ाने हेतु कट साइलर नाम की एक मशीन की खोज की हैं ,इस संबंध में बात करने के लिए जापान के विशेषज्ञ जनवरी-फ़रवरी के माह में भारत आ रहे हैं, यंहा दोनों देशो के समझौता के बाद लाइसेंस बनने के पश्चात इस मशीन को भारत में ही निर्मित किया जायेगाI

कैसे काम करता हैं कट साइलर?

कट साइलर एक वी आकार का यंत्र हैं, इसको ट्रैक्टर सर जोड़ा जाता हैं यह भूमि की करीब 60 सेंटीमीटर परत में खुदाई करता हैं, और फसल अवशेषों को नीचे मिट्टी में ही दबा देता हैं ,कुछ दिनों में में ही पराली मिट्टी में ही गल जाती हैं ,जिससे खेतों की उर्वरा शक्ति में 30 फीसदी तक बढ़ोत्तरी पाई जाती हैं I

लवणता और जल भराव में होगी कमी

कट साइलर सिर्फ पराली ही नहीं और भी चीज़ों में लाभदायक साबित हो सकता हैं ,जैसे जलभराव और लवणता को भी काम करता हैं, जापान के किसानो ने उन्नत किस्म की धान की फसल इन्ही तकनीकों से कई सालों से उत्पन्न कर रहे हैं I

भारत के किसान भी ले सकेंगे लाभ

कट साइलर का उपयोग करके भारत के भी किसान भी पराली प्रबधन और खेतों में उर्वरा शक्ति को बढ़ा सकते हैं ,इसका लाभ किसानों को समय की बर्बादी से भी बचाएगा, और किसानों की लेबर में भी कमी आने से लागत में भी काफी बचाव होगा I

वायु प्रदूषण से भी होगा बचाव

कट साइलर का उपयोग से प्रदुषण में भी कमी होगी,जो पराली किसानों को मजबूरन जलानी पड़ती हैं उससे निजात मिलेगी I

अब लहलहाएगी ऊसर भूमि में भी फसल 

किसानों के लिए ऊसर भूमि को उपयुक्त न मानते हुए बंजर छोड़ दिया जाता हैं ,लेकिन अब किसानों के लिए खुशखबरी की बात हैं कि भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने एक शोध किया हैं, जिससे अब किसानों कि बंजर जमीन में भी हरी भरी फसल देखने को मिल सकेगी, जिससे किसानों के उत्पादन में भी काफी इज़ाफ़ा होगा I 

एक आंकड़े के अनुसार भारत में लगभग 67.27 लाख हेक्टेयर जमीन ऊसर मानी जाती हैं यह आंकड़ा देश के पूरे भौगोलिक क्षेत्रफल का 2% हैं I भारत में बढ़ती जनसंख्या के कारण आवसीय क्षेत्र और विकास के कारण कृषि योग्य भूमि निरंतर घटती जा रही हैं I

वैज्ञानिको के सफल प्रयास से देश में बंजर जमीन पर भी खेती की जा सकेगी, जिसका लाभ देश कि आर्थिक व्यवस्था और किसानों कि आय बढ़ने में मददगार साबित होगा, आई.आई.वी.आर. के वैज्ञानिकों ने मिर्च कि चार ऐसी प्रजातियों को तैयार किया हैं, जिसे ऊसर भूमि में भी उगाया जा सकेगा I मिर्च तीखी भी बहुत हैं और गुणवत्ता में भी उत्तम हैं I सामान्य मिर्च के मुताबिक इन प्रजातियों कि पैदावार भी अधिक हैं I

देश में अन्नदाता कि बढ़ेगी आमदनी  

वैज्ञानिकों के सराहनीय योगदान कि वजह से जो जमीन किसानों के लिए बंजर और ख़राब जमीन मान कर छोड़ दिया जाता था उस जमीन पे भी अब किसान खेती कर के अधिक लाभ कमा सकेंगे, जिससे किसानों कि आय में काफी बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती हैं, देश के अन्नदाता की आमदनी में काफी लाभ होगा I

गुजरात में सबसे ज्यादा बंजर भूमि 

देश में लगभग सभी प्रदेशों को मिलाकर 67.27 लाख हेक्टेयर जमीन बंजर हैं I जो भारत की कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग  2% है I जिसका सबसे बड़ा हिस्सा गुजरात में माना जाता है I गुजरात में जहाँ 22.4 लाख हेक्टेयर जमीन बंजर है I

इस स्थान पर दूसरे नंबर पे उत्तर प्रदेश 13.7, और तीसरे स्थान पर महाराष्ट्र 6.1, और चौथे स्थान पर बंगाल 4.4, पांचवे स्थान पर राजस्थान 3.8 हेक्टेयर लाख बंजर जमीन हैं, जो कि देश कि कुल बंजर जमीन का 75% के आसपास है I

हरियाणा सरकार ने  सौर ऊर्जा को बढ़ाने के लिए गाँवों की मैपिंग शुरू की 

सरकार ने हरियाणा में सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने हेतु योजना का निर्माण किया है इस योजन के तहत प्रदेश के प्रत्येक गांव की मैपिंग की जाएगी I इस मैपिंग के दौरान किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी I
हरियाणा सरकार के बिजली मंत्री अनिल विज ने सम्बंधित अधिकारियों के साथ बैठक में सोलर एनर्जी,सस्ती और टिकाऊ ऊर्जा के साथ साथ पर्यावरण संरक्षण के सन्दर्भ में भी निर्देश दिए सौर ऊर्जा की सहायता से बिजली कटौती की समस्या का भी निदान किया जा सकता हैं I

बिजली वितरण की व्यवस्था को बेहतर करने हेतु मंत्री जी ने ट्रांसफार्मर कंडक्टर अदि को भी अपग्रेड करने का आदेश दिया I बिजली चोरी को रोकने हेतु आर्म्ड केबल के उपयोग के लिए भी कहा गया है 

सब्जियों के बढ़े दाम

दिल्ली एन.सी.आर. में एक बार फिर सब्जियों के दामों में बढ़ौत्तरी देखी गयी हैI सब्जी की कीमतों में इजाफे के कारण आम जनता को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है I कीमतों के इस बढ़ावे के कई कारण स्पष्ट किये जा सकते है I

बारिश का देर तक चलना बना एक बड़ा कारण

बारिश का देर तक यानी लास्ट नवंबर तक चलना भी सब्जियों की कीमत पर बढ़त का मुख्य कारण बनता जा रहा है I बारिश की वजह से बुआई में देरी हुई जिस कारण कीमतें भी बढ़ गयी I

 सब्जी मंडी के व्यापारियों की माने तो जो प्याज की नई फसल अक्टूबर माह में आनी शुरू हो जाती थी अभी तक नवंबर के अंत में आनी शुरू नहीं हुई है I

उन्होंने ये भी बताया की बाजार में नया आलू मंडी में आ तो गया है परन्तु पर्याप्त मात्रा में नहीं है और आपूर्ति न हो पाने के कारण आलू की कीमतें बढ़ गयी है I

शादियों का भी रहा योगदान

नवंबर माह में अत्यधिक शादियों जैसे बड़े कार्यक्रमों का भी कीमत बढ़ौतरी में मुख्य योगदान रहा है I जहां शादियों में आवश्यकता से अधिक सब्जियों और अन्य पदार्थो का प्रयोग किया जाता है जिस कारण सब्जियों की आपूर्ति में कमी देखी जा सकती है I

आयात पर भी पड़ा प्रभाव

आमतौर पर नवंबर माह में आवक बढ़ने से सब्जी की कीमतों में गिरावट देखी जाती थी लेकिन बारिश के कारण हरियाणा, पंजाब, हिमांचल, महाराष्ट्र, आँध्रप्रदेशऔर कर्नाटक जैसे प्रदेशों से आने वाले प्याज का आयात काफी कम हो गया है जिससे कीमते डेढ़ से दो गुना तक बढ़ गयी है I

कर्ज  और कृषि लागत में ही बढ़त , उत्पादकता में गिरावट

किसानों की समस्याओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गयी गयी समिति के अनुसार, किसानों पर, बढ़ती बढ़ती कृषि लागत के कारण ऋण का बोझ बढ़ता जा रहा हैI लेकिन उत्पादकता में कोई बढ़ौत्तरी नहीं हो पा रही है जिस कारण किसानो की समस्याएं बढ़ती जा रही है I

समिति की 11 पन्नो की अंतिम रिपोर्ट में किसानों पर आये संकटो के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया रिपोर्ट के अनुसार देश के किसान विशेषकर पंजाब और हरियाणा के किसान पिछले दो दशकों बढ़ते संकटो का सामना कर रहे है I

किसानों के विरोध का न हो राजनीतिकरण

शम्भू बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों को लेकर राजनीति ने भी जोर पकड़ लिया है किसानों की समस्याओं पर हो रही राजनीति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश दे दिया है की किसानों की समस्याओं के समाधान पर जोर दिया जाये न की उनकी समस्याओं पर राजनीति की जाये I

बढ़ती लागत से हो रही उत्पादकता में कमी

डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण कृषि उपकरणों का प्रयोग करना भी एक चुनौती जैसा प्रतीत होता है I वही उन्नतशील बीजों और उर्वरकों में बढ़ी कीमतों के कारण कृषि की लागत भी आसमान छू रही है देश में बढ़ती महंगाई के कारण कृषि लागत में भी अत्यधिक इजाफा देखा जा सकता है I जहाँ पेट्रोल जिसका सीधा असर हमें किसानो की आर्थिक स्थित पर दिख रहा है I

उत्पादन में कमी के कारण किसानों को अगली फसल की तैयारी के लिए ऋण लेने की आवश्यकता पड़ती है जिस कारण सीमित किसानो और कृषि श्रमिकों को ऋण का बोझ बढ़ता जा रहा है I

जलवायु परिवर्तन से हो रही हैं फसलें प्रभावित

फसलों और कृषि उत्पादन में कमी के सन्दर्भ में जलवायु परिवर्तन को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है ये उन मुख्य कारणों में से एक है जिनके द्वारा कृषि उत्पादन सबसे अधिक प्रभावित होता है I

देश में पड़ रही भीषण गर्मी, बार बार पड़ने वाले सूखे से किसानों की आर्थिक स्थिति चरमरा गयी है जिसका सीधा सीधा असर बाजार की कीमतों पर पड़ रहा है I

निवेदन :- समस्त पाठकों से निवेदन किया जाता है कि वे हमारे बुलेटिन में प्रदान की गयी सूचनाओं का प्रयोग अपने स्तर पर पूरी जांच पड़ताल करने के बाद ही करें I आपको सूचनाएं भेजने के पीछे हमारी मंशा केवल आपकी जानकारियां बढा कर आपकी खेती किसानी/पशुपालन को लाभान्वित करना हैI आपसे पुन निवेदन है कि सभी जानकारियों का उपयोग स्वविवेक से अपनी जिम्मेदारी पर ही करें I