कपास सेधक कीट – सफ़ेद मक्खी

रस चोर सफ़ेद मक्खी का जिक्र चलते ही आज पत्ता नहीं क्यों 13 साल पहले 1986 में पढा हुआ यह नारा याद आ गया, “चिट्टे कबूतर ते नीले मोर, सारे चोर – सारे चोर |” यह नारा गुरमुखी में लकड़ी जला कर बनाए गये कोयले से बुडैल जेल की एक बैरक में सफ़ेद दिवार पर …

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कपास में रस चुसक : अष्टपदी

अष्टपदी या मकडिय-जूं, जिला जींद की कपास फसल में रस चूस कर हानि पहुँचाते पाया जाने लगा है। इस जीव की आठ टाँगे होती हैं इसीलिए तो इसे कीट नही कहा जाता। हाँ! वैज्ञानिकों की दुनिया में इस जीव को “Tetranychus sp.” कहा जाता है। ये अष्टपदियाँ Tetranychidae नामक घुन परिवार से सम्बंधित हैं | …

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कपास का शाकाहारी कीट – चित्तकबरी सुंडी

कुछ साल पहले तक हरियाणा प्रदेश में चितकबरी सूंडी कपास की फसल का मुख्य हानिकारक कीट होती थी। पर आजकल यह सूंडी कपास की फसल में बहुत कम दिखाई देती है। यह सूंडी पै समय का कहर है, या व्यापार का दोपहर है, कुछ कह नही सकते। हाँ, इतना जरुर है कि हरियाणा में किसान …

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प्राकृतिक कीटनाशी – सींगू बुगडा

सींगू बुगडा जिला जींद के परितंत्र में पाया जाने वाला एक सीधा-पादरा खून-चूसक परभक्षी है। वैसे तो यह कीट विभिन्न फसलों में पाए जाने वाले पच्चास से भी ज्यादा भांत-भांत के कीटों का खून चूस कर अपना जीवनयापन करता है। पर सुंडियां मिल जायें तो कहने ही क्या? मिल जाएँ कहीं फसलों में या खरपतवारों …

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बणिया मत्कुण (Red Cotton Bug)

इस बणिये/मत्कुण को अंग्रेजी पढने-लिखने वाले लोग Red cotton bug कहते हैं। कीट वैज्ञानिक जगत में इसे Dysdercus singulatus के नाम से जाना जाता हैं। इसके परिवार का नाम Pyrrhocoridae तथा कुल का नाम Hemiptera है। इस कीट के प्रौढ़ लम्बोतरे व इकहरे बदन के होते हैं जिनके शरीर का रंग किरमिजी(गाढे लाल रंग की …

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कपास में सेधक कीट – लाल मत्कुण

लाल मत्कुण एक रस चूसक हानिकारक कीट है। यह सर्वव्यापी कीट वैसे तो हरियाणा में सारे साल पाया जाता है पर कपास की फसल पर इसका ज्यादा प्रकोप अगस्त से अक्तूबर तक देखा गया है। कीट सम्बंधित किताबों व रसालों में इस कीट को कपास की फसल का नामलेवा सा हानिकारक कीट बताया गया है। …

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जंगीरा – एक परजीव्याभ सम्भीरका

जंगीरा हमारी फसलों में मिलीबग को काबू करने वाली एक परजीव्याभ सम्भीरका है। जी हाँ! उसी विदेशी मिलीबग को जिसने भारत में कपास की खेती के लिए गंभीर समस्या के रूप में देखा जाने लगा था। भला हो इन सम्भीरकाओं का जिन्होंने इस किटिया संकट से निजात दिलाने में जिला जींद के किसानों की भरपूर …

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प्राकृतिक कीटनाशी – दस्यु बुगडा

“नन्ही – नन्ही बूंद पडै …….. साँग बिगडग्या सारा”, पंडित लखमी चंद की इन मियां – मियां बूंदों जितना बड़ा व बुनावट में गिरती हुई आंसू जैसा यह कीट जिला जींद में किसानों एवं उनकी कपास का सांग ज़माने की पुरजोर कोशिश करता पाया गया है | निडाना, ईगराह व ललितखेडा के किसान इसे दस्यु …

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